top of page

गीता बजाज संस्थान / सोसायटी

गीता बजाज संस्थान / सोसायटी का एक परिचय

​​

गीता बजाज बाल मंदिर संस्थान में गीता बजाज बाल मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल और गीता बजाज महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय शामिल हैं, जो मिल कर समाज के सबसे पिछड़े वर्ग के बच्चों और महिलाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.

गीता बजाज बाल मंदिर संस्थान ने 7 जुलाई 1952 को गुरु पूर्णिमा के शुभ दिन “बाल मंदिर हैप्पी स्कूल”  के नाम से अपनी यात्रा शुरू की और बहुत जल्द ही यह एक प्राथमिक विद्यालय में बदल गया।. कुछ साल बाद, इसका नाम बदलकर बाल मंदिर स्कूल कर दिया गया और इसे हाई स्कूल और फिर सीनियर सेकेंडरी (उच्च माध्यमिक) विद्यालय का दर्जा  हासिल हो गया.

24 वर्ष बाद 1976 में गीता दीदी ने महिला सशक्तिकरण के बापू के सन्देश को ध्यान में रख कर बाल मंदिर महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना की, जिस के  अंतर्गत दो वर्षीय शिक्षा स्नातक (बी.एड.) डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किया गया।. इस बीच, युवतियों के लिए एक बेसिक एसटीसी पाठ्यक्रम भी चलाया गया, जो 2010 तक चलता रहा, जिसके बाद सरकार ने सभी एसटीसी महाविद्यालयों को बंद कर दिया।

1995 में हमारी प्रिय संस्थापक श्रीमती गीता बजाज के निधन के बाद, कॉलेज को गीता बजाज महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बदल दिया गया. 

इस अनूठी संस्था को बालक-बालिकाओं एवं महिलाओं की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए चल रहे एक राष्ट्रव्यापी अभियान के एक भाग के रूप में स्थापित किया गया था.  संस्थान छात्रों को शिक्षा के नए एवं आधुनिक तौर तरीके उपलब्ध कराता है  तथा  भावी अध्यापिकाओं को एक सशक्त शैक्षणिक कार्यक्रम  के साथ अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहुत ही गांधीवादी तरीके से प्रदान करता है.

गीता बजाज बाल मंदिर अब अपने आठवें दशक में हैं – इस लम्बी यात्रा के दौरान संस्था के साथ असंख्य छात्र-छात्राएं, शिक्षक – शिक्षिकाएं, अभिभावक, तथा समाज के विभिन्न वर्गों के असंख्य लोग इस से जुड़ते रहे, समय के साथ कारवां बढ़ता गया, और संस्थान अनेक प्रकार की कठिनाईयों के बावजूद प्रगति करता रहा है. हमें विश्वास है कि पूज्य दीदी के बताये मार्ग पर चलते हुए और उनकी बुनियादी शिक्षा पद्धति को निर्वहन करते हुए बाल मंदिर देश को लगातार अच्छे नागरिक देता रहेगा. हमारा उद्देश्य है कि हम अपने छात्रों को न सिर्फ किताबी शिक्षा बल्कि बहु आयामी शिक्षा दे सकें.  दीदी चाहती थीं कि इस संस्था के द्वार हमेशा उन बच्चों और छात्र छात्राओं के लिए भी खुले रहें जिनके अभिभावक उनकी पढाई का खर्च नहीं उठा सकते  – इसी मकसद से हम हर वर्ष लगभग एक तिहाई से अधिक बालक बालिकाओं को आंशिक अथवा पूर्ण छात्र-वृत्तियां प्रदान करते हैं.

बाल मंदिर संस्थान राज्य की ऐसी अग्रणी संस्थाओं में अपना विशिष्ट स्थान बनाए रखने का निरंतर प्रयास करता रहेगा , जो उच्च विचारों और उसूलों वाले नागरिक साबित हों और एक नए भारत के निर्माण में अपना योगदान  दें.

bottom of page